सावरकर के अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगने के मामले में सरकार के बयान में कितनी सच्चाई?

भारत के संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में बताया कि विनायक दामोदर सावरकर ने कभी भी अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी या नहीं, ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है.


लेकिन जानकारों के अनुसार सावरकर ने कई बार अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी और अंग्रेज़ों से उनको साठ रूपये प्रतिमाह पेंशन भी मिलती थी.


संसद में हाल में सवाल उठा था कि क्या सावरकर ने सेल्युलर जेल में रहते हुए ब्रिटिश हुकूमत से माफ़ी मांगी थी.


केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने इसके बारे में कहा था कि अंडमान और निकोबार प्रशासन के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है जिससे यह स्पष्ट हो कि सावरकर ने अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी या नहीं.


उन्होंने कहा, "जिस तरह की जानकारी अंडमान और निकोबार प्रशासन के आर्ट एंड कल्चर विभाग से मिली है उसके मुताबिक़ सेल्युलर जेल में रहते किसी तरह की दया याचिका देने का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है जिससे इस बात की पुष्टि हो की उन्होंने माफ़ी मांगी थी या नहीं."


केंद्र सरकार की ओर से ये बयान ऐसे वक़्त में आया है जब हिंदूवादी नेता सावरकर को भारत रत्न देने की मांग चल रही है. सत्ताधारी बीजेपी इसके पक्ष में नज़र आ रही है लेकिन विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं.


बीते साल महाराष्ट्र चुनाव के दौरान भी सावरकर को भारत रत्न का मुद्दा गरमाया था. बीजेपी ने राज्य में चुनाव के दौरान इस बात को उठाया था.


हालांकि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि जिस शख़्स का नाम महात्मा गांधी की हत्या में आया था, उसे भारत रत्न देने की मांग करना कितना सही है? हालांकि सावरकर को इस मामले में अदालत ने बरी कर दिया था.